राजनिति किसी भी देश की सबसे महत्वपूर्ण और वहाँ की पहचान होती है .
ठीक वैसे ही भारत में भी राजनीति अपनी अलग पहचान बनाए हुए है . चूँकि भारत दुनिया
का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है इसलिए यहाँ लोगो की शिकायते भी बहुत बड़ी हैं .
लोकतंत्र की परिभाषा देते हुए अमेरिका के
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा था ‘’लोगों का लोगों पर लोगों के लिए शासन’’. अभिव्यक्ति
की स्वतन्त्रता हमारा मूल अधिकार है . इसलिए मेरी भी कुछ शिकायते हैं अपने देश के
राजनीतिज्ञों से जो मैं अपने ब्लॉग के माध्यम से कर रहा हूँ .
हम सभी देशवासी अपने देश
के राजनीतिज्ञों की वादाखिलाफी की समस्या से आजादी से लेकर आज तक जूझ रहे हैं .
हमारे राजनेता और राजनितिक पार्टियां चुनाव के समय लोकलुभावने वादे करते हैं और
हमारी समस्या का हल करने का वादा करते हैं और हम उनके लोकलुभावने वादों में फंस कर
, अमल कर बैठते हैं लेकिन जितने के बाद
वादों को पूरा करना तो दूर की बात है , दुबारा अपने चुनाव क्षेत्र में झाँकने भी
नहीं आते हैं . हमारे देश की राजनिति का इतिहास गवाह रहा है कि राजनेताओं ने जो
वादे किये हैं उन्हें आधे अधूरे ही पुरे किये हैं जैसे वर्तमान में उत्तर प्रदेश
की समाजवादी पार्टी की अखिलेश यादव की सरकार का ही उदाहरण ले ,उन्होंने चुनाव के
समय १०वी पास छात्रों को टैबलेट और १२वी पास की लैपटॉप देने का वादा किया था .
लेकीन सरकार बनाने के बाद १०वी पास छात्र
आज भी यही आस लगाए बैठे हैं की उन्हें आज नहीं तो कल टैबलेट मिलेगा मगर सरकार बनने
के ३ साल बाद भी ये संभव नहीं हो पाया .कुछ ऐसा ही हाल १२वी पास छात्रों का भी है
उन्हें सरकार ने दो साल लैपटॉप तो दिए लेकिन अपनी शर्तों पर जो उन्होंने चुनाव के
समय नहीं बताये थे. मुलायम सिंह यादव की महत्वाकांक्षी योजना कन्या विद्या धन का
भी हश्र कुछ ऐसा ही है . अल्पसंख्यक समुदाय की प्रगति के नाम पर भी अनदेखी की जाती
रही है उनके लिए इस सरकार ने बहुत सी योजनायें चलाई हैं लेकिन इसके अंतर्गत सिर्फ मुस्लिम अल्पसंख्यकों को ही फायदा मिल
रहा है जबकि भारत में अल्पसंख्यक समुदायों में और भी बहुत से वर्ग हैं लेकिन वो इन
योजनाओं से वंचित हैं ,सरकार इस पर ध्यान क्यों नहीं दे रही है ?
सबसे युवा मुख्यमंत्री
बनने का सौभाग्य भी अखिलेश यादव को प्राप्त है .चुनाव के समय युवावों ने अखिलेश के
नाम पर खूब बढ़ चढ़कर उन्हें वोट दिया था लेकिन ३ साल के कार्यकाल में युवा बहुत
निराश हुए हैं .रोजगार के अवसर भी बहुत कम मिले हैं जिससे युवावों में रोष व्याप्त
है. भर्तियों में पारदर्शिता का भी अभाव देखने को मिला है जिसका सबसे बड़ा उदाहरण
यू. पी. एस. आई. की भर्ती है . ऐसे ही शिक्षकों की भर्ती में भी देखने को मिला है
जिसमे सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पडा है .इससे भी सरकार की कार्यशैली पर
प्रश्न चिन्ह खड़े होते हैं .
मेरी शिकायत सिर्फ
उत्तर प्रदेश की ही सरकार से नहीं है .इस कतार में केंद्र के साथ साथ अन्य
प्रदेशों की सरकारों के साथ साथ तमाम राजनीतिक पार्टीयों से भी है जो अपने ही किये
वादों पर अमल नहीं करती हैं तथा अपने आदर्शों अवं सिद्धांतों के विपरीत कार्य करती
हैं. मेरी अपील बी]इन सभी दलों एवं राह्नेताओं से है कि जनता से वादे वही करिए
जिनको पूरा करने का आप सामर्थ्य रखते हों . अन्यथा अंजाम भुगतने को तैयार रहें .
इनके लिए चंद पंक्तियाँ याद आ रही हैं कि –
इन आंधी और तुफानो में कुछ दिये जलाना हमको है ,
जो भटक गए हैं राहों से राहों पर लाना उनको है ,
कुछ रीत नित सिखलानी है हमको इन तानाशाहों को ,
तू साथ हमारा दो मित्रों इतिहास बनाना हमको है .. ..