Wednesday 8 April 2015

पहिया

इंसान द्वारा आविष्कार किया गया सबसे क्रांतिकारी वस्तु मे से एक है पहिया । पहिया ने न केवल विकास की गति को क्रांतिकारी ढंग से गतिशीलता प्रदान की है , बल्कि साथ साथ एक लंबे मिल मिलों के सफर को कुछ ही समय मे पूरा करने का साधन बना । जरा सोच के देखिये जनाब ! अगर पहिया ना होता तो साइकिल , ट्रेन , मोटरकार , हवाई जहाज का सपना पूरा भी हो पाता ? जवाब मिलेगा बिलकुल नहीं । शुरुआत मे पहिये का स्वरूप लोहे का एक गोल आकार का ढांचा , जो की सतह पर आसानी से चल सके । जिसे खींच कर या धकेल कर आगे बढ़ाया जा सके । समय के साथ साअथ पहिये के प्रारूप मे कई क्रांतिकारी बदलाव देखने को मिले ,और आज यह रबर, कपड़ा और विभिन्न रासायनिक तत्वों से मिलकर बनता है । वर्ष 1744 मे चार्ल्स गुडइयर द्वारा रबर के आधुनिक टायरों के बनाने की राह प्रचलित हुई ।

        ये तो बात हुई पहिये के आविस्कार की , मगर यह तो सिक्के का एक पहलू है । अभी तो महत्वपूर्ण दूसरा पहलू तो दिखाना बाकी है, पहिया हमारी जिंदगी की दशाओं का सूचक है ,जो जिंदगी के सफर का महत्वपूर्ण अंग होने के साथ साथ हमे अपनी वास्तविकता और कर्मों की बानगी देता है । कुछ ऐसा ही है पहिया आगे आप जरूर महसूस करेंगे मेरा विश्वाश है ।
         जरा सोचिए एक नया पहिया जो की बिलकुल दिखने मे नया
, चमकदार और बढ़िया नजर आता है जो की पूरी स्फूर्ति के साथ कार्यों को करता है । बिलकुल उसी तरह होता है समय का चक्र भी । बचपन से लेकर जवानी तक हम उमंगों और ऊर्जा से भरे होते हैं , बचपन मे कोई रोक टॉक नहीं आजाद पंक्षी की तरह खुले आसमान मे सैर करना , सारा जग जीतने का प्रयास करना ,घर , गाँव की गलियों मे ही दुनिया की सैर का आभास होना । बचपन होता है नादान पर सपने नादान नहीं होते , एक छलांग लगाकर सीधे आकाश को छूने की कोशिश करना ये बचपन भी ऐसा ही होता है ।
          समय का पहिया बचपन से होते हुए आगे बढ़ता है जहां जिंदगी के सभी पक्षों को बयान करता हुआ बढ़ता ही जाता है । पहिया चलते चलते ही घिसता है और ज्यादा चलने पर थोड़ा पुराना और चोटिल भी हो जाता है शायद जैसे की जवानी । इस अवस्था मे बड़े सपनों का पनपना लाजिमी होता है
, और अपनी उपलब्धियों , इच्छाओं को हासिल करने की पुर ज़ोर कोशिश । ज़िम्मेदारी भी बढ़ जाती है जिम्मेदारियों के साथ साथ घर परिवार को व्यवस्थित करने की भी ज़िम्मेदारी आ जाती है । । इन सबके बीच एक नकारात्मक दौर भी आता है जहां आप कई बार या तो हार मान लेते हैं या उससे संघर्ष करते हैं पर जीत तो संघर्ष करने वालों को ही मिलती है । पहिया भी कुछ ऐसा ही होता है घिसने के बावजूद अपना संघर्ष नहीं छोडता है । सफर है तो संघर्ष का होना लाजिमी है , मगर सफर रुकता कहाँ है । और जब ये रफ्तार पकड़ लेता है तो जिंदगी खुद ब खुद आसान हो जाती है ।
         जिंदगी का सबसे अनुभवी दौर भूढ़ापा होता है जहां हम एक ऐसे मोड पर होते हैं जहां छीजे बादल रही होती हैं । और हम अपने दौर को याद करके उनकी तुलना करते हैं । यही अनुभव युवा पीढ़ी को साहस प्रदान करता है । यही है जीवन और इसकी सच्चाई
, जिससे परिचित होना ही पड़ता है । जिंदगी का पहिया हमे सभी अनुभवों को जीने का साहस देता है ।