Sunday 8 March 2015

एक साक्षात्कार अविनाश के साथ ................







सवाल 1: तो अविनाश जी पहले तो आप अपने बारे मे कुछ बताइये?

अविनाश : मैं इस समय लखनऊ विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग मे छात्र हूँ, और साथ साथ लखनऊ बार एसोसिएसन से भी जुड़ा हूँ ।

सवाल 2: वकालत के साथ साथ पत्रकारिता करने  का विचार आपको कैसे आया ?

अविनाश : (सोचते हुये)  देखिये भारत के संविधान को बनाते समय संविधान के निर्माताओं ने जिस भारत का सपना देखा था , वो वास्तविक रूप मे व्यवहार मे है नहीं । मेरा मकसद इस समाज मे फैली बुराइयों को खतम करना है । और जैसा की हम मानते हैं की लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ पत्रकारिता है , तो जो चीजे इसे नकारात्मक बना रहीं हैं उन्हे बस  समझने और सुधारने की कोशिश करना चाहता हूँ पत्रकारिता के माध्यम से  ।

सवाल 3: दोनों चीजों के लिए आप समय कैसे निकाल पाते हैं ?

अविनाश : दिक्कत तो बहुत होती है , सुबह जल्दी उठकर विश्व विद्यालय पहुचना होता है , और फिर 2 बजे तक कचहरी मे हाजिरी लगानी पड़ती है । कई बार तो इस  भाग दौड़ मे सुबह का नाश्ता और दोपहर का खाना तक छुट जाता है ।

सवाल 4: आपने अपने अंदर इस क्षेत्र मे आकर क्या बदलाव देखा ?

आविनाश : देखिये आकाश जी  इसके पहले मैंने एल एल बी ऑनर्स किया लेकिन कभी कोई सवाल नहीं उठा पाया । मगर पत्रकारिता के जुनून और मुकुल सर के सहयोग ने मुझे इस समस्या से दूर किया है और ये सबसे बड़ा बदलाव है मेरे अंदर अब तक का ।

सवाल 5: आपको लेकर अक्सर ये शिकायत कि जाती है कि आप अपने ही सवालों मे फँसकर रह जाते हैं जिससे सामने  वाला आपका सवाल ही नहीं समझ पाता है , और शायद आपको जवाब भी सही ढंग से नहीं मिल पाता होगा ?

अविनाश : मैंने भी इस चीज को कई बार महसूस किया है कि मेरे सवालो का मुझे जवाब सही ढंग से नहीं मिल पाता है । कई बार तो मुझे जवाबों से असंतुष्टि होती है । हो सकता है कि सामने वाले तक अपना सवाल सही ढंग से नहीं रख पाता हूँ । लेकिन मैं हर बार यही  कोशिश करता हूँ कि मै अपने सवालों को और बेहतर तरीके से पूछ सकूँ । और इसके लिए मैं किताबों का सहयोग ले  रहा हूँ ।

सवाल 6: कई बार आपके सवाल पुछने पर आपके  क्लासमेट हंसने या प्रॉम्प्ट करने लगते हैं ,  क्या आपको बुरा लगता है ?

अविनाश : ( मुसकुराते हुये ) नहीं बिलकुल नहीं । मैं इन सब चीजों का बुरा नहीं मानता हूँ । लेकिन उनसे मैं यही आशा करता हूँ कि वह मेरा सहयोग किया करें ।

सवाल 7: अगर दोनों प्रोफेशन मे से कोई चुनना हो तो किसे चुनेंगे ?

अविनाश : वकालत मेरा पेशा है ,और  पत्रकारिता भी साथ साथ करता रहूँगा । वैसे दोनों एक साथ करने मे कोई अडचन नहीं आएगी , जहां तक मैं समझता हूँ ।

सवाल 8: आप हमेशा बड़ी जल्दी मे रहते हैं इसका कोई कारण ?

अविनाश : इसका जवाब मैं पहले दे चुका हूँ , जैसा कि आप जानते हैं कि मुझे विश्वविद्यालय के बाद सीधा कचहरी भागना पड़ता है । हो सकता है इसीलिए आपको लगता होगा कि मैं बड़ी जल्दी मे रहता हूँ ।

सवाल 9: खाली समय मे आप  क्या करते हैं  ?

अविनाश : इतनी भाग  दौड़ के बाद  जब खाली समय मिलता है तो मैं मैगजीन पढ़ता हूँ , और मुझे क्रिकेट का बड़ा शौक है तो दोश्तों के साथ खेलने निकल जाता हूँ ।

सवाल 10 : अब तो आपकी वकालत चल गयी है तो फिर शादी का क्या ख्याल है ?

अविनाश :' ( हँसते हुये ) अभी तो बड़े भाई कि शादी होनी बाकी है , उसके बाद देखा जाएगा ।

सवाल 11: तो क्या हम ये समझें कि आपने लड़की देख रखी है ?

अविनाश : अरे नहीं भाई । इसके लिए समय ही नहीं मिल पाता है ।