सवाल 1: तो अविनाश जी पहले तो आप अपने बारे मे कुछ बताइये?
अविनाश : मैं इस समय लखनऊ विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग मे छात्र हूँ, और साथ साथ लखनऊ बार एसोसिएसन से भी जुड़ा हूँ ।
सवाल 2: वकालत के साथ साथ पत्रकारिता करने का विचार आपको कैसे आया ?
अविनाश : (सोचते हुये) देखिये भारत के संविधान को बनाते समय संविधान के निर्माताओं ने जिस भारत का सपना देखा था , वो वास्तविक रूप मे व्यवहार मे है नहीं । मेरा मकसद इस समाज मे फैली बुराइयों को खतम करना है । और जैसा की हम मानते हैं की लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ पत्रकारिता है , तो जो चीजे इसे नकारात्मक बना रहीं हैं उन्हे बस समझने और सुधारने की कोशिश करना चाहता हूँ पत्रकारिता के माध्यम से ।
सवाल 3: दोनों चीजों के लिए आप समय कैसे निकाल पाते हैं ?
अविनाश : दिक्कत तो बहुत होती है , सुबह जल्दी उठकर विश्व विद्यालय पहुचना होता है , और फिर 2 बजे तक कचहरी मे हाजिरी लगानी पड़ती है । कई बार तो इस भाग दौड़ मे सुबह का नाश्ता और दोपहर का खाना तक छुट जाता है ।
सवाल 4: आपने अपने अंदर इस क्षेत्र मे आकर क्या बदलाव देखा ?
आविनाश : देखिये आकाश जी इसके पहले मैंने एल एल बी ऑनर्स किया लेकिन कभी कोई सवाल नहीं उठा पाया । मगर पत्रकारिता के जुनून और मुकुल सर के सहयोग ने मुझे इस समस्या से दूर किया है और ये सबसे बड़ा बदलाव है मेरे अंदर अब तक का ।
सवाल 5: आपको लेकर अक्सर ये शिकायत कि जाती है कि आप अपने ही सवालों मे फँसकर रह जाते हैं जिससे सामने वाला आपका सवाल ही नहीं समझ पाता है , और शायद आपको जवाब भी सही ढंग से नहीं मिल पाता होगा ?
अविनाश : मैंने भी इस चीज को कई बार महसूस किया है कि मेरे सवालो का मुझे जवाब सही ढंग से नहीं मिल पाता है । कई बार तो मुझे जवाबों से असंतुष्टि होती है । हो सकता है कि सामने वाले तक अपना सवाल सही ढंग से नहीं रख पाता हूँ । लेकिन मैं हर बार यही कोशिश करता हूँ कि मै अपने सवालों को और बेहतर तरीके से पूछ सकूँ । और इसके लिए मैं किताबों का सहयोग ले रहा हूँ ।
सवाल 6: कई बार आपके सवाल पुछने पर आपके क्लासमेट हंसने या प्रॉम्प्ट करने लगते हैं , क्या आपको बुरा लगता है ?
अविनाश : ( मुसकुराते हुये ) नहीं बिलकुल नहीं । मैं इन सब चीजों का बुरा नहीं मानता हूँ । लेकिन उनसे मैं यही आशा करता हूँ कि वह मेरा सहयोग किया करें ।
सवाल 7: अगर दोनों प्रोफेशन मे से कोई चुनना हो तो किसे चुनेंगे ?
अविनाश : वकालत मेरा पेशा है ,और पत्रकारिता भी साथ साथ करता रहूँगा । वैसे दोनों एक साथ करने मे कोई अडचन नहीं आएगी , जहां तक मैं समझता हूँ ।
सवाल 8: आप हमेशा बड़ी जल्दी मे रहते हैं इसका कोई कारण ?
अविनाश : इसका जवाब मैं पहले दे चुका हूँ , जैसा कि आप जानते हैं कि मुझे विश्वविद्यालय के बाद सीधा कचहरी भागना पड़ता है । हो सकता है इसीलिए आपको लगता होगा कि मैं बड़ी जल्दी मे रहता हूँ ।
सवाल 9: खाली समय मे आप क्या करते हैं ?
अविनाश : इतनी भाग दौड़ के बाद जब खाली समय मिलता है तो मैं मैगजीन पढ़ता हूँ , और मुझे क्रिकेट का बड़ा शौक है तो दोश्तों के साथ खेलने निकल जाता हूँ ।
सवाल 10 : अब तो आपकी वकालत चल गयी है तो फिर शादी का क्या ख्याल है ?
अविनाश :' ( हँसते हुये ) अभी तो बड़े भाई कि शादी होनी बाकी है , उसके बाद देखा जाएगा ।
सवाल 11: तो क्या हम ये समझें कि आपने लड़की देख रखी है ?
अविनाश : अरे नहीं भाई । इसके लिए समय ही नहीं मिल पाता है ।
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