Thursday 14 January 2016

आखिर हम अपने अतीत से कब सुधरेंगे ? सुरक्षा व्यवस्था किस्मत के भरोसे



       पहले गुरुदासपुर और अब पठानकोट !! एक के बाद एक पिछले 6 महीनों में हुए आतंकी हमलों ने पंजाब और साथ ही साथ पुरे भारत को हिला के रख दिया . जिस तरह से आतंकवादी संगठन अपने नापाक मंसूबों को कामयाब करने में लगे हैं उसको देख कर इस बात का अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता है कि वह किसी बड़ी साज़िश को अंजाम देना चाहते हैं . भारतीय सुरक्षा व्यवस्था में हो रही चूकों की वजह से उनके मंसूबों को समय रहते हुए ही ख़तम नही किया जा सकता . सोचने वाली बात यह भी है कि आखिरकार आतंकी पंजाब को ही निशाना क्यों बना रहे हैं ? क्यों सिलसिलेवार तरीके से यहाँ हमले कर रहे हैं ?
       इसका एक मतलब यह भी निकला जा सकता है कि पंजाब की पाकिस्तान के साथ ५५० किलोमीटर की बार्डर सीमा है ,जिस पर हर वक़्त निगरानी नही की जा सकती है . इसी सीमा में कई सारी नदियाँ हैं जो कि सुरक्षा एजेंसियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है . क्योंकि नदियों पर सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने के लिए आधुनिक संसाधनों की जरुरत होती है . वह संसाधन सेना के पास नहीं है . साथ ही साथ घने जंगल और ऊँची ऊँची झाड़ियाँ भी बहुत बड़ा रोड़ा सुरक्षा व्यवस्था में बनी हुई  हैं . इन सीमा पर इलेक्ट्रिक तारों की व्यवस्था भी नहीं है और जो तारें बार्डर पर बंधी हैं वह या तो टूट चुकी हैं या फिर बहुत कमजोर हो गयी हैं . इस हालत में एक ओर से दूसरी ओर आसानी से आया जा सकता है . एक बात और जिस पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है वह है इस इलाके में फैले हुआ ड्रग तस्करों का गिरोह. इनकी एक बड़ी संख्या है जिनकी आसपास के गांवों में अच्छी पकड़ है.वह आसानी से नालों और तालाबों के माध्यम से बाहर क्रॉस कर आते हैं .
      पठानकोट में हुआ हमला हमारी सुरक्षा व्यवस्था के इंतजामों की कलई खोलता है . अगर समय रहते सुरक्षा एजेंसियां मुस्तैदी से लग जातीं तो फिर शायद आतंकियों को वायुसेना के एयरबेस तक जाने से रोका जा सकता था . अब यह फिर से जरुरी हो जाता है कि हम अपनी कमियों को चिन्हित करें और यूँ ही बार-बार हमारे जवानों का रक्त ना बहता रहे . याद रखने वाली बात यह भी है कि यह वही एयरबेस था जिसने कारगिल युद्ध की जीत को सुनिश्चित किया था . इस मद्देनज़र इसे आतंकियों द्वारा उड़ाने की नाकामयाब कोशिश की गयी होगी. यूँ तो वायुसेना का एयरबेस सुरक्षा के लिहाज़ से बेहद ही संवेदनशील है परन्तु जिस तरह से 6 आतंकी उसकी सुरक्षा को भेदते हुए लगभग 65 घंटे तक उस पर कब्ज़ा जमाये रहे उसे देखकर तो यही लगता है कि सारा सुरक्षा व्यवस्था केवल दिखावा मात्र ही थी  .
    ज़ख्मो पर मरहम लगाते हुए यूँ तो पाकिस्तान ने भारत द्वारा पेश किये गए सुबूतों के मद्देनज़र सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है मगर अब देखने वाली बात यह है की कहीं यह पकिस्तान के तरफ से महज़ एक दिखावा भर तो नही . क्योंकि इससे पहले भी २६/११ मुंबई हमले में वहाँ की सरकार ने मोहम्मद सईद जैसे कुख्यात आतंकी को केवल घर में नज़रबंद करके अपनी कार्यवाही की पिपड़ी बजाई थी और जिसे बाद में सुबूतों के अभाव में कोर्ट ने बरी कर दिया था . इस बात पर कई बार मुहर लग चुकी है कि पाकिस्तानी सरज़मीं पर भारत के खिलाफ आतंकी कैम्पों का आईएसआई द्वारा संचालन हो रहा है . अब यह पाकिस्तान की गंभीरता को परखने का समय है क्या वो इन कैम्पों को समाप्त करने का साहस दिखा पता है . यदि वह आतंकियों या उनके शुभचिंतकों के खिलाफ ज़मीनी कार्यवाही करता है तभी भारत को अपनी द्विपक्षीय वार्तालाप के सिलसिले को आगे बढ़ाना चाहिए अन्यथा इन संबंधों के बारे में कड़ा रुख अख्तियार करने की जरुरत है .
     

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