Saturday 23 January 2016

भाई बड़ी ठंड है…....

        .......*भाई बड़ी ठंडी है*......
  यह जनवरी भी कमबख्त उस जुलाई वाली मेहबूबा की तरह हो गई है।न न कहते हुए भी अचानक आधमकि है बिल्कुल वैसे ही जैसे वह जुलाई में मुझे छोड़ कर चले जाने को कही थी और मेरी यादों के समंदर ने उसे फिर से मुझे चकनाचूर करने के लिये रोक लिया था।तब भी बेतहाशा दर्द हुआ था और अब भी कसम रांझणा वाली हीर की बड़ी कपकपी सी होती है।हाथ और पैर इतने थर्राते हैं मानो इन्हें मौका मिले तो सीधा जाके मैया सीता की तरह ही अग्नि समाधी ले लें।
      अम्मा से कहके तो खुद ही ज़बरदस्ती अपने सर्दी वाले मख्मले, मुलायम कपड़ो को उस अलमारी में रखवा दिया था जिसमे पहले से ठुसे कपड़े अपनी इंच भर की जगह से इधर उधर होने से पहले तलवार और तोपो से हमारा मुकाबला करने को तैयार बैठे हो।याद है मुझे पूरा दुई घंटा लगा रहे एडजस्टमेंट बैइठाने में।और बदले में अम्मा की सारी साड़ियां प्रेस करने का संकल्प उठा लिए रहे।अम्मा कहती रहे की बेटा अभी ठण्ड फिर से लौटेगी और तुम्हारी इ रंगबाजी खत्म कर देगी।और अब जाके कुछ दिन पहले वाली यह बात याद आ रही हैं।अब बचे हुए सर्द कपड़ो से ही गुज़ारा करना पड़ेगा क्योंकि कुल्हाड़ी पर पैर देने से पहले धार तो खुद ही तेज़ करवाई थी उसकी, तो अब चीख़ और पुकार का आनंद भी खुद ही लिया जाए।
      अब तो एक ही रास्ता दिखता है कि अगर ठंडी से बचना है तो रस्ते पर निकलना ही बन्द कर दूँ,इतनी ठिठुरन में तो लगता है जैसे कि हवाओ को भी मेरे ही बदन से प्यार हो गया है,जब देखो छेड़ती ही रहती हैं और सर्दी तो मानो उस आकाश से लेकर नीचे वाले आकाश तक को सताने का बीड़ा उठा ली है।
     हे सर्दी बहिन हमका माफ़ी दे दो और अपने इस छोटे भाई पर रहम खाके अपने ससुराल जल्दी चली जाओ चाहे तो बदले में हमार स्वेटर,जैकेट,मफलर इत्यादि भी अपने साथै लई जाओ।।।

परिचय:मैं आकाश यादव,लखनऊ यूनिवर्सिटी से MJMC का छात्र हूँ, मुझे रिपोर्टिंग के साथ साथ सामाजिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर लिखना और पढ़ना पसंद है।।

                ......Bs yuh hi......

      

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